शब्दकोशः / संस्कृतहिन्दीआंग्लकोशः / पुद्गलजीववाद
विवरणम् : जैनियों का यह मत कि न केवल प्राणी और वनस्पति अपितु पृथ्वी‚ अग्नि‚ जल एवं वायु और इन भूतों के छोटे से छोटे कण भी सजीव हैं; पुद्गल वर्ण‚ रस‚ गन्ध और स्पर्श से युक्त होता है । यह नित्य है और अणुमय है । इसके अणुओं से अनुभव की सब वस्तुएँ बनी हैं‚ जिनमें प्राणियों के शरीर‚ ज्ञानेनन्द्रियाँ और मनस् भी हैं । सूक्ष्म अवस्था में रहने वाला पुद्गल ही कर्म है जो जीव के अन्दर प्रविष्ट होकर संसार का कारण बनता है ।
शब्दभेदः : पुं.
वर्गः :
शब्दकोश : प्रो. सूर्यकान्त संस्कृत हिन्दी अंग्रेजी कोश
प्रलय | संहार‚ विनाश‚ मरण... | dissolution, dest... |
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प्ररोचना | स्तुति‚ प्रशंसा क... | laudation, descri... |
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प्रयोग | उपयोग‚ चलाना (अस्... | use, application,... |
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प्रमाथ | प्रमथन‚ यातना‚ दा... | thrashing, excess... |
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प्रमाण | माप (लंबाई का)‚ ड... | measure of length... |
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