मैथुनम च सामान्येतत् भिर्नराणाम इसका अर्थ क्या है।
समय : 12:28:45 | दिनाँक : 25/12/2019आपने छन्द त्रुटिपूर्ण लिखा है । पूरा व सम्यक् छन्द सार्थ प्रस्तुत है -
आहारनिद्राभयमैथुनञ्च
सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम् ।
धर्मो हि तेषामधिको विशेष:
धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः ॥
अर्थ - खाना सोना डरना व मैथुन करना यह सभी मनुष्यों के साथ पशुओं का भी सामान्य कर्म है । (उन्हें पृथक् करने में) धर्म ही मात्र विशेष तत्व मनुष्यों में अधिक है । (अतः) धर्म से हीन मनुष्य पशुओं के ही समान है ।