अर्द्धरात्रे श्मशाने वा शनिवारे जपेन्मनुम्। अष्टोत्तर सहस्रं तद्दशवारं जपेत्ततः॥
536638
इस श्लोक में कुछ त्रुटि जान पड़ती है अथवा ये अधूरा है कृपया पुनः प्रविष्ट करें और संदर्भ भी दें।
926927