सुरत का क्या अर्थ होता है? जिसका प्रयोग गोपी गीत में किया गया है -"सुरत वर्धनम शोकनाशं"
सुरत का सामान्य अर्थ राग (प्रेम) अथवा काम होता है । गोपीगीत में इसका आशय रागवर्धन से ही है ।
साहित्यशास्त्र में रसों के वर्णन में इसका प्रचुर प्रयोग काम के अर्थ में‚ विशेषकर संभोग के अर्थ में किया गया है ।