वालमुकुंद स्तोत्र

प्रश्नकर्ता: SURYA NARAYAN SINHA | 13/08/2020 | 08:01:37

संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।<br />
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ <br />
इसका हिन्दी में अर्थ बताएं
टिप्पणियाँ
SURYA NARAYAN SINHA15/08/2020 | 05:59:37
प्रलय के समय वरगद के पतों में लिपटे वालमुकुंद की छवि उभरती है जिसका न तो कही आरंभ दिखता न अन्त, वो समस्त संसार का स्वामी शृष्टि करता को मन ही मन स्मरण एवं वंदना करता हूँ ।
डॉ. विवेकानन्द पाण्डेय17/08/2020 | 07:28:01
संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।<br />
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ <br />
<br />
समस्त लोकों का संहार करके अथवा समग्र लोकों को समेट करके बरगद के पत्ते के बीच में सो रहे&sbquo; आदि और अन्त से विहीन रूप वाले&sbquo; समस्त ब्रह्माण्ड के स्वामी&sbquo; सभी का कल्याण करने के लिये अवतार धारण करने वाले बाल कृष्ण को मन से स्मरण करता हूँ ।
Govind Narayan29/08/2020 | 02:57:09
किसी के पास हो तो ये स्तोत्र पूरा प्रकाशित करने का कष्ट करें ।